क्षत्रिय सम्राट मिहिरभोज प्रतिहार पर विशेष ....

आप सभी को वेसे पता है १८ सितंबर को पुरे हिन्दुस्तान में क्षत्रिय सम्राट मिहिरभोज प्रतिहार जी की जयंती बनाते हैं ..... क्षत्रियों को सबसे पहले स्वधर्म आधारित दिनचर्या अर्थात योग, प्राणायाम और व्यायाम के साथ कोई एक मार्शल आर्ट नित्य कर्म में शामिल करनी चाहिए, क्योंकि इतिहास में यवनों, शकों, हूणों, मुगलों से लेकर अंग्रेजों तक न हमें मार्शल कौम ही बताया है, लेकिन आज उस मार्शल कौम के सैनिक 15 मिनट धूप में नहीं खड़े हो पाते हैं। क्योंकि अब उनके शरीर में शुद्ध अनाज, घी दूध व बलवर्धक भोज्य पदार्थों की जगह दारू, मांस और फ़ास्ट फ़ूड ने ले ली है। अब बचा है तो बस गाड़ी, घर पर वंश की पहचान लिखाकर स्वैग में चलना। वैदिक अर्थो में वर्तमान में बहुत कम क्षत्रिय बचे हैं जो आज भी अपनी प्राचीन दिनचर्या का पालन करते हैं ..... उन्हीं की संतानें भविष्य में नेतृत्व देंगी, लेकिन उनकी भी संख्या सीमित होने से एक सीमित क्षेत्र में ही वह प्रभाव जमा पाएंगे। मनुस्मृति सहित श्रीकृष्ण गीता में मादक पदार्थों का सेवन क्षत्रिय वर्ण के लिए सर्वथा वर्जित है। यहां तक कि स्वयं एक बार सम्राट अशोक को कुछ बीमारी थी, जिस...