आज सबसे ज्यादा संकट में मध्य वर्ग पर
राजस्थान पत्रिका में मुख्य पृष्ठ पर 1 अप्रेल को महंगाई से संबंधित एक समाचार पढ़ा, जिसकी फोटो भी लेकर लगा रहा हूं।
यह समाचार निश्चित ही चिंताजनक है और विशेष रूप से मध्यम वर्ग के लिए...
क्योंकि आज सबसे ज्यादा संकट में मध्य वर्ग नजर आ रहा है बढ़ रही महंगाई और बढ़ रहे खर्चों के साथ-साथ सीमित होती कमाई ने मध्यम वर्ग की कमर तोड़ दी है। इसी मध्यम वर्ग पर टैक्स, लालफीता शाही, इंस्पेक्टर राज यानि हर प्रकार की मार पड़ती है और पड़ रही है। 1 अप्रैल 2022 से जिस प्रकार महंगाई बढ़ने की स्थिति वर्णित की गई है, वह चिंताजनक है। समझ में नहीं आता कि सरकार आखिर चाहती क्या है और कर क्या रही है ?
जिस प्रकार समाचार पत्रों में समाचार आए हैं उसे देखते हुए यह कहा जाना कि अतिशयोक्ति नहीं होगा कि सरकार पूंजीपतियों के हितों की पोषक सरकार बनी नजर आ रही है। सबसे मुख्य बिंदु नेशनल हाईवे पर टोल टैक्स को 10% बढ़ाया जाना है। समझ नहीं आता कि टोल टैक्स बढ़ाए जाने का मकसद क्या हुआ ? बार-बार सरकारी सर्वे हो चुके हैं और हाईवे चलाने वाली करने वाली कंपनियां 5 से 10 साल में अपनी लागत से भी कई गुना ज्यादा कमाई कर रही है। 20 साल में तो यह कंपनियां 10 गुना ज्यादा कमाई कर जाती है, इसके बावजूद टोल टैक्स बढ़ाया जाना उन कंपनियों अथवा नेताओं द्वारा संचालित कंपनियों को लाभ देना जाहिर हो रहा है।
दूसरा बिंदु होम लोन में सब्सिडी खत्म किया जाना है। होम लोन में सब्सिडी का सबसे ज्यादा फायदा मध्यमवर्ग गरीब तबके को मिलता है, जिसे सरकार खत्म कर रही है।
माना कि पेट्रोल डीजल के भाव अंतर्राष्ट्रीय बाजारों के हिसाब से बढ़ रहे हैं मगर इस पर लगने वाले विभिन्न टैक्स...? इसके अलावा दवाओं की दरों में वृद्धि तथा रोजमर्रा की जीवन उपयोगी अन्य सामग्री की कीमतें बढ़ना एक गंभीर चिंतनीय विषय है। कई उत्पादों में आयात शुल्क बढ़ा दिया गया तो कईयों को जीएसटी के उस दायरे में ला दिया गया जो अनावश्यक प्रतीत होता है। इसी प्रकार सामान्य और छोटे थोक व्यापारियों की स्टॉक सीमा पर प्रतिबंध लगाया जाना तथा बड़ी-बड़ी कंपनियों को स्टॉक में अनावश्यक छोड़ दिया जाना भी यह जाहिर करता है कि सरकार बड़ी कंपनियों और कारपोरेटस का ज्यादा ध्यान रख रही है।
हालांकि महंगाई से गरीब तबका और मध्यमवर्ग दोनों ही पीड़ित और प्रभावित होते हैं, मगर सबसे ज्यादा प्रभावित मध्यम तब का नजर आ रहा है। बीपीएल व गरीबों को तो फ्री का गेहूं/राशन सामग्री और अन्य सुविधाएं मिल जाती है, पर मध्यम वर्ग...? करे तो करे क्या...?
सरकार को खर्चे कम करने हैं और आय को बढ़ाना है तो क्यों नहीं मिड-डे-मील और 2 किलो के अनाज पर ऐसी पाबंदी लगाए कि पात्र लोगों को ही इसका लाभ मिल सके तथा दुरुपयोग ना होने पाए। यह बार-बार प्रमाणित हो चुका है कि इसका पात्र व्यक्तियों को लाभ कम मिलता है और सक्षम लोग इन चीजों का किसी न किसी तरीके से लाभ प्राप्त कर रहे हैं।
कुल मिलाकर स्थिति है कि आज मध्यमवर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित नजर आ रहा है, चाहे वह छोटे दुकानदार हों या नौकरी पेशा वाले अथवा जैसे तैसे जीवन यापन करने वाले परिवार/वर्ग हैं। आज सबसे बड़ी आवश्यकता यही है कि मध्यम वर्ग के लिए सरकार/सरकारें कोई प्रभावी कदम उठाए।
Comments
Post a Comment