डॉक्टर अर्चना का सवाल यह है कि दोषी कौन

वर्तमान समय में सरकारी चिकित्सा सेवा व्यवस्था पर उंगली उठाने वालों की कमी नहीं है। कोई आपत्ति नहीं, जहां अव्यवस्था हो वहां आवाज उठानी भी चाहिए, पर साथ ही परिस्थितियों तथा संवेदनाओं को भी ध्यान में रखना चाहिए।

आज प्रमुख समस्या ग्रामीण क्षेत्रों में है, अच्छी जगहों के प्रशिक्षित चिकित्सक वहां रहना नहीं चाहते, इसके भी अनेकों कारण हैं, मगर गौर करे कौन...?

डॉ. अर्चना शर्मा स्त्री प्रसूति रोग विशेषज्ञ थी, जिन्होंने 29 मार्च को सार्वजनिक रूप से पुलिस द्वारा प्रताड़ित किए जाने पर आत्महत्या कर ली एवं सुसाइड नोट भी लिख कर छोड़ गई हैं। 
वह किसी महिला की नार्मल डिलिवरी का केस देख रहीं थी। डिलिवरी के बाद अत्यधिक रक्तस्राव होने के वजह से प्रसूता को बचाया नहीं जा सका। प्रसूता एवं बच्चों का मामला अत्यधिक संवेदनशील होता है व सम्बंधित मामला भी निश्चित रूप से संवेदनशील था। मामले की पुलिस शिकायत की गई, जो स्वाभाविक है तथा एक प्रक्रिया भी, लेकिन पुलिस ने बिना हालातों को समझे हत्या का मामला दर्ज ही नहीं किया, बल्कि चिकित्सक व उनके पति को प्रताडित करना शुरू कर दिया।
यद्यपि पुलिस इससे भी ज्यादा संवेदनशील और गंभीर मामलों को अनदेखा कर जाती है या परिस्थितियों को देखने की बात कहते हुए चाहे वैसा करती है, मगर इस चिकित्सकीय मामले में ऐसा किया कि डॉक्टर अपमान को बर्दाश्त ना कर सकी। दुसरों के बच्चों के स्वास्थ्य व जीवन का ध्यान रखने, सेवाएं देने वाली डॉक्टर खुद अपने ही बच्चों को अनाथ सा कर गयी।
सवाल यह है कि दोषी कौन...? प्रसव के ऐसे क्रिटिकल मामलों में तुरंत ब्लड की तुरंत ज़रूरत पडती है। तो क्या सरकार द्वारा वहां ब्लड की व्यवस्था की हुई है या ब्लड बैंक स्थापित किया गया है ? अगर नहीं किया गया है तो दोषी सिर्फ़ डॉक्टर या हास्पिटल ही क्यों ? सरकार क्यों नहीं, फिर तो को भी पार्टी बनाया जाना चाहिए।
डॉक्टर अर्चना गोल्ड मेडलिस्ट थी, वो गांधीनगर जैसे हॉस्पिटल में विभागाध्यक्ष थी। यानि योग्यता में कोई कमी नहीं थी। अगर वो गांधीनगर में ही प्रैक्टिस करती, ग्रामीण क्षेत्र में ना जातीं तो क्या ऐसी नौबत आती ? मतलब यह कि शहर जैसे सुरक्षित स्थान से निकल कर ग्रामीण क्षेत्रों को सेवा देना उनकी मृत्यु का कारण बन गया...? 
पुलिस को भी पता है कि ऐसे मामलों में बगैर चिकित्सा टीम के जांच के कोई निर्णय नहीं लिए जाते, उसके बावजूद प्रताड़ित करते हुए उनके मनोचिकित्सक पति को भी आरोपी बनाने का कुप्रयास क्या/क्यों...? कहीं ऐसा तो नहीं कि दबाव बनाकर कोई रिश्वत पाना या कोई अन्य कुत्सित प्रयास तो नहीं...?
दुर्भाग्य की बात ही कही जा सकती है कि एक योग्य चिकित्सक ने इस प्रकार की व्यवस्था/कुव्यवस्था में उलझ कर जीवनलीला ही कर ली।  
यदि ऐसी घटनाएं होती रही तो गंभीर मरीज़ों को देखने से भी चिकित्सक कतराएंगे या रेफर करेंगे। उस प्रकार के हालातों में निजी हॉस्पिटल/कार्पोरेटस फलेगा फूलेगा। याद रखिएगा कि वहां की मनमानी तथा ऐसी किसी घटना के बावजूद वहां ना तो आपकी/संबंधित व्यक्ति की चलेगी ना कानून की रक्षक उस पुलिस की, जिसने एक काबिल चिकित्सक को मरने के लिए मजबूर कर दिया...?
डॉ. अर्चना शर्मा का आत्महत्या करना दुर्भाग्यपूर्ण ही नहीं, चिकित्सा जगत के लिए गम्भीर क्षति है। यह भी एक कटु सत्य है कि चिकित्सक पहले जैसे नहीं रहे फिर भी चिकित्सक को सेवाभावी और प्राण रख सकते हैं ना अतिशयोक्ति नहीं है समाज में चिकित्सक को भगवान के रूप में माना जाता है।
जिस प्रकार से डॉक्टर अर्चना के साथ में पुलिस एवं असामाजिक तत्वों के द्वारा इस प्रकार का कृत्य किया गया है जो शर्मसार करने वाला है। आवश्यकता यह भी है कि इस प्रकार की कृत्य करने वाले के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई हो तथा निष्पक्ष जांच कर दोषियों को सजा दिलाई जाए।
इसके चलते राजस्थान के बहुचर्चित दौसा चिकित्सक अर्चना शर्मा आत्महत्या मामले में राज्य सरकार ने कुछ तो कदम उठाया है तथा उक्त मामले की जांच संभागीय आयुक्त को दी गई है।
हालांकि आवश्यकता है कि ऐसे गम्भीर मामले की जांच किसी न्यायाधीश को सौंपी जानी चाहिए और हाई कोर्ट अथवा डीजे स्तर के न्यायाधीश से मामले की न्यायिक जांच करवाई जानी चाहिए। 
फिर भी कुछ तो कदम उठाया गया है, यह एकबारगी तो अच्छा कदम कहा जा सकता है। इस आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि मामले की लीपापोती करने के लिए ऐसा कुछ किया गया हो...? फिर भी गहलोत सरकार ने संवेदनशीलता दिखाई है।

डॉ. अर्चना शर्मा को श्रद्धांजलि... ईश्वर उनकी आत्मा को परम् शांति तथा शोक संतप्त परिजनों को इस घोर दु:ख के समय में सहन शक्ति, सम्बल प्रदान करें...
ॐ शान्ति, ॐ शान्ति,,

Comments

Popular posts from this blog

राजपूत समाज की सबसे दबग महिला क्षत्राणी - Manjeet Kirtiraj Singh (मंजीत कीर्तिराज सिंह )

आज राजगढ़ सादुलपुर में भारतीय जनता पार्टी के द्वारा बिजली पानी व अन्य प्रमुख मांगों को लेकर उपखंड कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन किया

राजगढ़ सादुलपुर क्षेत्र के चिर प्रतीक्षित सोनी हॉस्पिटल ब्लड बैंक का उद्घाटन