कोरोना में बुरा फसा मिडिल क्लास वर्ग....
धुओं और बहनों कोरोना वायरस के कारण इस समय पूरे देश में संकट की स्थिति चल रही है और इस स्थिति में काफी सेवाभावी लोग खुले दिल से जरूरतमंद लोगों की मदद कर रहे हैं। ऐसे सभी लोगों को और उनकी भावनाओं को नमन, सलाम के साथ मेरी जानकारी के अनुसार एक विशेष हालातों की जानकारी आप सभी को देना चाह रहा हूं।
इस समय यह बहुत दुष्प्रचार किया गया कि कस्बे में लोग भूखों मर रहे हैं, गरीबों के पास खाने को रोटी नहीं है, मगर यह बात गलत साबित हुई है। मगर एक और सच है, कटु सत्य है कि बहुत से ऐसे लोग हैं जो इस वक्त बहुत बेबस स्थिति में है। वह लोग ना तो हाथ फैला सकते हैं, ना ही फोटो खेंच कर सामान देने वाले दयालू जनों के सामने आ सकते हैं। कस्बे में ऐसे काफी लोग हैं, जो कठिन हालातों में जीवन यापन कर रहे हैं। उनके लिए भी सिर्फ आप और हमें ही नहीं सरकार को भी गंभीरता से सोचना चाहिए।
ऐसे लोग वह है जो मध्यम वर्ग के कहलाए जाते हैं। उन्हें ना तो किसी प्रकार की सरकारी सहायता मिलती है। उनके पास ना बीपीएल कार्ड है, ना अन्नपूर्णा योजना या खाद्य सुरक्षा योजना है। समाज में वह परिवार खाते पीते माने जाते हैं, मगर मुझे पिछले कुछ समय से इस वास्तविक स्थिति का रूबरू भान होता रहता है। श्री बिहारी लाल जैन चैरिटेबल ट्रस्ट, कोलकाता/बैंगलोर की ओर से किए जा रहे सेवा कार्यो के संचालन के लिए मुझे उनकी वास्तविक जानकारी मिलती रहती है।
इसलिए आज आप सभी के साथ अपनी यह जानकारी और हकीकत शेयर करना चाहता हूं तथा विशेष रुप से उन लोगों के साथ यह बात साझा करता हूं, जो कम या ज्यादा अथवा किंचित रूप में भी सेवा कार्यों में संग्लन रहते हैं।
आज मैं आपको बिना किसी का नाम दिए यह हालात बताना चाहता हूं कि श्री बिहारी लाल जैन चैरिटेबल ट्रस्ट सहित अन्य अनेकों उदाहरण सज्जनों द्वारा प्रतिमाह जो राशन सहयोग प्रदान किया जाता है। उस बारे में मैं हर माह राशन वितरण की जानकारी फेसबुक पर लगाता हूं। उन 52 परिवारों में 22 परिवार ऐसे हैं, जो मजबूरी में मदद लेकर जाते हैं। आपको जानकर आश्चर्य ही नहीं शायद दिल में दु:ख भी होगा कि वक्त के मारे ऐसे लोग मई-जून की चिलचिलाती धूप में दोपहर को और दिसंबर जनवरी की कड़ाके की सर्दी में शाम के बाद राशन सामग्री इसलिए ले जाते हैं ताकि अन्य लोग उन्हें देखना सके। मध्यम वर्ग के यह परिवार आखिर इज्जत से भी डरते हैं।
माफी चाहते हुए। मैं यह भी कहना चाहता हूं कि अन्य अनेकों जातियों के लोग मांग कर हाथ फैला कर मदद मांग लेते हैं, मगर यह मध्यम वर्ग के लोग रोते हुए भी अपने आंसू छुपाने के लिए मजबूर होते हैं।
अभी जिन लोगों ने राशन सामान वितरित किया है, उनमें से दो जनों ने मुझे यह कहा कि आपके पास जो लिस्ट है, वह हमें दे दो, उनको भी सामान दे देंगे। मगर मैंने उनको लिस्ट इसलिए नहीं दी कि पहली बात तो ट्रस्ट और अन्य सहयोगी जनों (जिनकी सूची मैंने 2 दिन पहले फेसबुक पर लगाई है) द्वारा पूर्ति की जा रही है और दूसरी बात यह भी है कि कम से कम आधे परिवारों के नाम में उजागर भी नहीं करना चाहता। ट्रस्ट संचालक आदरास्पद भाईजी मुरारीलाल जी सरावगी का भी यही कहना है, निर्देश है कि बिना किसी फोटो सेशन अथवा प्रचार के सिर्फ और सिर्फ सेवा कार्य करना है।
इसलिए आप सभी से अपील है कि मेरी इस पोस्ट पर ध्यान दें। मैं यह नहीं कहता कि मुझे मदद करो, पर अपने इर्द-गिर्द या जानकारी में ऐसे जो परिवार हैं, उनका पता लगाएं और चुपचाप निष्काम भाव से उनकी अवश्य मदद करें। वह मदद भगवान या अल्लाह के नाम पर करें ना कि फोटो खिंचवाने के लिए या प्रचार करने के लिए।
मुझे विश्वास है कि मेरी इस अपील को आप गंभीरता से लेंगे और अवश्य ही इस ओर ध्यान देंगे। मेरा व मेरे चन्द साथियों का कार्यक्षेत्र और मेरी सीमाएं सीमित हैं, उससे उससे बाहर निकल कर हम ज्यादा काम नहीं कर सकता। जैसे कबीरजी ने कहा - जेते पांव पसारिए, तेती लंबी सौड़... हम उसी हिसाब से काम करते हैं और सीमा का अतिक्रमण नहीं करते।
आप सभी से भी ऐसे ही यथासंभव सहयोग सेवा की अपील करता हूं व उचित समझें तो पोस्ट को शेयर भी कीजिएगा...
इस समय यह बहुत दुष्प्रचार किया गया कि कस्बे में लोग भूखों मर रहे हैं, गरीबों के पास खाने को रोटी नहीं है, मगर यह बात गलत साबित हुई है। मगर एक और सच है, कटु सत्य है कि बहुत से ऐसे लोग हैं जो इस वक्त बहुत बेबस स्थिति में है। वह लोग ना तो हाथ फैला सकते हैं, ना ही फोटो खेंच कर सामान देने वाले दयालू जनों के सामने आ सकते हैं। कस्बे में ऐसे काफी लोग हैं, जो कठिन हालातों में जीवन यापन कर रहे हैं। उनके लिए भी सिर्फ आप और हमें ही नहीं सरकार को भी गंभीरता से सोचना चाहिए।
ऐसे लोग वह है जो मध्यम वर्ग के कहलाए जाते हैं। उन्हें ना तो किसी प्रकार की सरकारी सहायता मिलती है। उनके पास ना बीपीएल कार्ड है, ना अन्नपूर्णा योजना या खाद्य सुरक्षा योजना है। समाज में वह परिवार खाते पीते माने जाते हैं, मगर मुझे पिछले कुछ समय से इस वास्तविक स्थिति का रूबरू भान होता रहता है। श्री बिहारी लाल जैन चैरिटेबल ट्रस्ट, कोलकाता/बैंगलोर की ओर से किए जा रहे सेवा कार्यो के संचालन के लिए मुझे उनकी वास्तविक जानकारी मिलती रहती है।
इसलिए आज आप सभी के साथ अपनी यह जानकारी और हकीकत शेयर करना चाहता हूं तथा विशेष रुप से उन लोगों के साथ यह बात साझा करता हूं, जो कम या ज्यादा अथवा किंचित रूप में भी सेवा कार्यों में संग्लन रहते हैं।
आज मैं आपको बिना किसी का नाम दिए यह हालात बताना चाहता हूं कि श्री बिहारी लाल जैन चैरिटेबल ट्रस्ट सहित अन्य अनेकों उदाहरण सज्जनों द्वारा प्रतिमाह जो राशन सहयोग प्रदान किया जाता है। उस बारे में मैं हर माह राशन वितरण की जानकारी फेसबुक पर लगाता हूं। उन 52 परिवारों में 22 परिवार ऐसे हैं, जो मजबूरी में मदद लेकर जाते हैं। आपको जानकर आश्चर्य ही नहीं शायद दिल में दु:ख भी होगा कि वक्त के मारे ऐसे लोग मई-जून की चिलचिलाती धूप में दोपहर को और दिसंबर जनवरी की कड़ाके की सर्दी में शाम के बाद राशन सामग्री इसलिए ले जाते हैं ताकि अन्य लोग उन्हें देखना सके। मध्यम वर्ग के यह परिवार आखिर इज्जत से भी डरते हैं।
माफी चाहते हुए। मैं यह भी कहना चाहता हूं कि अन्य अनेकों जातियों के लोग मांग कर हाथ फैला कर मदद मांग लेते हैं, मगर यह मध्यम वर्ग के लोग रोते हुए भी अपने आंसू छुपाने के लिए मजबूर होते हैं।
अभी जिन लोगों ने राशन सामान वितरित किया है, उनमें से दो जनों ने मुझे यह कहा कि आपके पास जो लिस्ट है, वह हमें दे दो, उनको भी सामान दे देंगे। मगर मैंने उनको लिस्ट इसलिए नहीं दी कि पहली बात तो ट्रस्ट और अन्य सहयोगी जनों (जिनकी सूची मैंने 2 दिन पहले फेसबुक पर लगाई है) द्वारा पूर्ति की जा रही है और दूसरी बात यह भी है कि कम से कम आधे परिवारों के नाम में उजागर भी नहीं करना चाहता। ट्रस्ट संचालक आदरास्पद भाईजी मुरारीलाल जी सरावगी का भी यही कहना है, निर्देश है कि बिना किसी फोटो सेशन अथवा प्रचार के सिर्फ और सिर्फ सेवा कार्य करना है।
इसलिए आप सभी से अपील है कि मेरी इस पोस्ट पर ध्यान दें। मैं यह नहीं कहता कि मुझे मदद करो, पर अपने इर्द-गिर्द या जानकारी में ऐसे जो परिवार हैं, उनका पता लगाएं और चुपचाप निष्काम भाव से उनकी अवश्य मदद करें। वह मदद भगवान या अल्लाह के नाम पर करें ना कि फोटो खिंचवाने के लिए या प्रचार करने के लिए।
मुझे विश्वास है कि मेरी इस अपील को आप गंभीरता से लेंगे और अवश्य ही इस ओर ध्यान देंगे। मेरा व मेरे चन्द साथियों का कार्यक्षेत्र और मेरी सीमाएं सीमित हैं, उससे उससे बाहर निकल कर हम ज्यादा काम नहीं कर सकता। जैसे कबीरजी ने कहा - जेते पांव पसारिए, तेती लंबी सौड़... हम उसी हिसाब से काम करते हैं और सीमा का अतिक्रमण नहीं करते।
आप सभी से भी ऐसे ही यथासंभव सहयोग सेवा की अपील करता हूं व उचित समझें तो पोस्ट को शेयर भी कीजिएगा...
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