कोरोना वायरस के खतरे से बचाव के लिए प्रशासन सख्त ...

राजगढ़ सादुलपुर में जहां अधिसंख्यक जनता कोरोना वायरस के खतरे से बचाव के लिए सजग है और सरकार तथा प्रशासन के दिशा निर्देशों की पालना कर रहे हैं। वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो खुद को नहीं नहीं सभी को खतरे में डालने जैसा व्यवहार कर रहे हैं।
हालांकि यह पोस्ट की यह जानकारी कुछ लोगों को नागवार लगे, मगर कटु सत्य यह है कि मोहल्ला नरहदियांन के काफी लोग अभी तक कोरोना वायरस के खतरे के प्रति गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं। यह लोग सरकारी आदेश निर्देश की अवहेलना भी करते दिख रहे हैं।
मैंने 22 मार्च और 23 मार्च को भी जामा मस्जिद से लेकर रेलवे लाइन तक और पूरे मोहल्ले का चक्कर लगाया था। तब भी कई स्थानों पर समूहों में लड़के बैठे मिले। 24 मार्च को तो हद हो गई कि मदनी चौक के आगे तकरीबन सौ से भी ज्यादा महिलाएं पुरुष लड़के एकत्रित हो रहे थे। बताया गया कि उनमें कोई तकरार हो गई और सब के सब लोग घरों से बाहर आकर भीड़ के रूप में उमड़ पड़े।

हालांकि सूचना मिलते ही पुलिस ने तत्काल पहुंच गई, तब लोग भाग छूटे, सब तीतर बितर हो गए, मगर पुलिस भी कहां तक भागदौड़ करें ? हालातों के मध्यनजर यदि वर्तमान थाना अधिकारी अपने हिसाब से एक्शन में आ गए तो हो सकता है कि कुछ लोगों को या नेताओं को रास नहीं आए ? इस समय आवश्यकता यही है कि इस प्रकार की हर परिस्थितियों को सख्ती से निपटा जाए तथा इससे भी महती आवश्यकता यह है कि नरहड़ियाँन मौहल्ले के बड़े बुजुर्ग, प्रबुद्ध जन अपने समाज के युवाओं, महिलाओं को समझाए और हालातों के प्रति आगाह करें। 

बाकी कस्बे में चहूं और सुनसान की स्थिति नजर आई व इक्का दुक्का लोग व वाहन ही सड़कों पर दिखे। दवा के अलावा शराब की दुकानें ही खुली रही अन्यथा 12 बजते ही आवश्यक वस्तुओं की दुकानें बंद कर प्रत्येक व्यापारी अपने घरों की ओर रुखसत हो गए।
पूरे इलाके में पुलिस की व्यवस्था माकूल रही व वाहनों की भी जांच होते देखी। वर्तमान हालातों को देखते हुए मुझे यह भी प्रतीत हो रहा है कि दवाओं की दुकानों तथा शराब ठेकों का एक समय तय कर दिया जाए और दवाओं की दुकानों का तो रोस्टर बना दिया जाए। यूं ही घूमने वाले लोग पुलिस पूछताछ के समय दवा या बैंक जाने का बहाना कर बच जाते हैं। हालांकि बैंकों का टाइम भी 24 मार्च से 2-00 बजे का कर दिया गया है। मगर फिर भी आवश्यकता है कि कोरोना की आशंका को देखते हुए एवं बचाव के लिए पुलिस प्रशासन को सख्त नहीं सख्ततम।कदम उठाने होंगे, चाहे किसी वाहन को सीज करो या आदेश निर्देश नहीं मानने वालों को डंडों की भाषा में समझाओ।

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