संतोषनाथ आश्रम को स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों ने पूरे आश्रम को सरकारी संपत्ति घोषित किया....
राजगढ़ सादुलपुर के पिलानी रोड पर स्थित संत संतोषनाथ आश्रम में 17 फरवरी से धर्म समारोह तथा ब्रह्मलीन संत संतोष नाथ महाराज की पुण्यतिथि पर विशेष धर्मायोजन होने जा रहे हैं। इसके लिए चल रही तैयारियों के दौरान 14 फरवरी को सुबह अचानक स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों ने आश्रम में पहुंचकर पूरे आश्रम को सरकारी संपत्ति घोषित कर दी। इसके साथ ही वहां पर इस आशय के बोर्ड भी तत्काल लगा दिए गए. ... ..
एक धर्म समारोह और जन आस्था के केंद्र पर की गई इस प्रकार की कार्यवाही कोई राजनीतिक कारण अथवा अन्य किसी आग्रह/पूर्वाग्रह के कारण तो नहीं की गई है ? प्रतीत तो ऐसा ही होता है कि यह कार्यवाही किसी दबाव या आग्रह - पूर्वाग्रह की वजह से की गई है। अन्यथा आज तक ऐसे कार्यवाही संभवतया राजगढ़ तहसील में नहीं हुई है... ..
स्थानीय जिला प्रशासन का कहना है कि जिस स्थान पर पंचमुखी बालाजी मंदिर तथा संत संतोष नाथजी की समाधि व अन्य धार्मिक आस्था के केंद्र बने हुए हैं। वह संपत्ति सरकारी है, जोहड़ पायतन की है। अब यह समझ नहीं आता कि क्या राजगढ़ तहसील में अथवा चुरू जिले में मात्र यही एक आश्रम जोहड़ पायतन अथवा सरकारी भूमि पर बना हुआ है।
राजगढ़ तहसील ही नहीं चुरू जिले में अनेकों आश्रम व मठ राजस्व अथवा जोहड़ पायतन या गोचर भूमि पर बने हुए हैं। तो फिर महज इस आश्रम के खिलाफ इस प्रकार की कार्यवाही का मकसद क्या है ? इसका औचित्य क्या हो सकता है ? यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पा रहा है। यहां मैं उल्लेख करना चाहूंगा कि राजगढ़ कस्बे में उपखंड, तहसील कार्यालय के निकट और बीएसएनल ऑफिस के सामने प्राचीन गैर मुमकिन जोहड़ पायतन की भूमि है, जहां गंदा जल एकत्रित होता है। उस भूमि पर ना सिर्फ कब्जे हो रहे हैं, बल्कि फर्जी तरीके से रजिस्ट्रियां हो चुकी है और हो रही है। उस अनुचित कार्य में प्रशासन की मिलीभगत से इनकार नहीं किया जा सकता ? जिला कलक्टर भी इस स्थान का मौका देख चुके हैं, मगर आज तक तो कोई प्रभावी कार्यवाही होती नजर नहीं आ रही है। बल्कि फर्जी तरीके से रजिस्ट्रीयां आगे से आगे होती जा रही है। भूमाफिया लाखों नहीं करोड़ों रुपयों की जोहड़ पायतन की भूमि बेच कर सरकार के चुना लगा चुके हैं और लगा रहे हैं.. ...
तो क्यों नहीं जिला प्रशासन व स्थानीय प्रशासन का अथवा संत संतोष नाथ आश्रम के मामले में राजनीति करने वाले राजनेताओं का ध्यान उस और नहीं जाता ?
एक धर्म समारोह और जन आस्था के केंद्र पर की गई इस प्रकार की कार्यवाही कोई राजनीतिक कारण अथवा अन्य किसी आग्रह/पूर्वाग्रह के कारण तो नहीं की गई है ? प्रतीत तो ऐसा ही होता है कि यह कार्यवाही किसी दबाव या आग्रह - पूर्वाग्रह की वजह से की गई है। अन्यथा आज तक ऐसे कार्यवाही संभवतया राजगढ़ तहसील में नहीं हुई है... ..
स्थानीय जिला प्रशासन का कहना है कि जिस स्थान पर पंचमुखी बालाजी मंदिर तथा संत संतोष नाथजी की समाधि व अन्य धार्मिक आस्था के केंद्र बने हुए हैं। वह संपत्ति सरकारी है, जोहड़ पायतन की है। अब यह समझ नहीं आता कि क्या राजगढ़ तहसील में अथवा चुरू जिले में मात्र यही एक आश्रम जोहड़ पायतन अथवा सरकारी भूमि पर बना हुआ है।
राजगढ़ तहसील ही नहीं चुरू जिले में अनेकों आश्रम व मठ राजस्व अथवा जोहड़ पायतन या गोचर भूमि पर बने हुए हैं। तो फिर महज इस आश्रम के खिलाफ इस प्रकार की कार्यवाही का मकसद क्या है ? इसका औचित्य क्या हो सकता है ? यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पा रहा है। यहां मैं उल्लेख करना चाहूंगा कि राजगढ़ कस्बे में उपखंड, तहसील कार्यालय के निकट और बीएसएनल ऑफिस के सामने प्राचीन गैर मुमकिन जोहड़ पायतन की भूमि है, जहां गंदा जल एकत्रित होता है। उस भूमि पर ना सिर्फ कब्जे हो रहे हैं, बल्कि फर्जी तरीके से रजिस्ट्रियां हो चुकी है और हो रही है। उस अनुचित कार्य में प्रशासन की मिलीभगत से इनकार नहीं किया जा सकता ? जिला कलक्टर भी इस स्थान का मौका देख चुके हैं, मगर आज तक तो कोई प्रभावी कार्यवाही होती नजर नहीं आ रही है। बल्कि फर्जी तरीके से रजिस्ट्रीयां आगे से आगे होती जा रही है। भूमाफिया लाखों नहीं करोड़ों रुपयों की जोहड़ पायतन की भूमि बेच कर सरकार के चुना लगा चुके हैं और लगा रहे हैं.. ...
तो क्यों नहीं जिला प्रशासन व स्थानीय प्रशासन का अथवा संत संतोष नाथ आश्रम के मामले में राजनीति करने वाले राजनेताओं का ध्यान उस और नहीं जाता ?
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