सरदारशहर में 1 मई को सुबह ऐसा लगा जैसे एक साथ दो सूर्यों का उदय हुआ हो।

चूरू जिले के प्रमुख शहर सरदारशहर में 1 मई को सुबह ऐसा लगा जैसे एक साथ दो सूर्यों का उदय हुआ हो। तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य श्री महाश्रमण के जब उनकी जन्म धरा पर नागरिक अभिनंदन किया गया तो आस्था, श्रद्धा से ओतप्रोत हजारों हजारों जनों ने करबद्ध नमन  कर इस अद्वितीय अवसर का ।
सरदारशहर के ऐतिहासिक घंटाघर एवं गढ के मध्य के मुख्य मार्ग पर श्रद्धा का समुद्र हिलोरें लेता नजर आया। सूर्योदय से पूर्व ही यह मार्ग जनमेदिनी से जनाकीर्ण बन गया। जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के सरताज तथा सरदारशहर के लाल, महातपस्वी महाश्रमण के नागरिक अभिनंदन का ऐतिहासिक अनूठा समारोह हुआ। प्रातः की मंगल बेला में एक ओर आसमान का सूर्य अपनी लालिमा लिए उदित हो रहा था तो वहीं अध्यात्म जगत के एक सूर्य महातपस्वी महाश्रमणजी तेरापंथ भवन से घंटाघर की ओर प्रस्थित हुए। गगनभेदी जयघोष, मंगल वाद्ययंत्रों की ध्वनि के मध्य जब महाश्रमण मंच पर विराजमान हुए तो उपस्थित बटुकों ने शंखनाद कर महासूर्य का अभिनंदन किया। दोनों सूर्य एक साथ एक-दूसरे के अभिमुख होते दिखे।
आचार्य श्री महाश्रमण प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष बाबूलाल बोथरा, उद्योगपति विकास मालू, राजस्थान आर्थिक पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष अनिल शर्मा,  नगरपालिका अध्यक्ष राजकरण चौधरी, उपाध्यक्ष अब्दुल रसीद चायल, पूर्व विधायक श्री अशोक पींचा, राजस्थान क्षेत्र के संघ चालक डॉ. रमेश अग्रवाल, नगरपालिका अध्यक्ष श्री राजकरण चौधरी ने अभिनंदन के क्रम में अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति देते हुए कहा कि आज आप जैसे महान संत को प्राप्त कर यह धरती स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रही है। आज इस सड़क पर यह जो नजारा दिखाई दे रहा है, आज से पहले कभी देखा नहीं गया। आप चिरायु हों और हमें आपसे मंगल प्रेरणा प्राप्त होती रहे।  इस अवसर पर उपस्थित समस्त जनमेदिनी द्वारा आचार्यश्री के अभिनंदन में गीत का सामुहिक संगान किया गया। 
नगरपालिका अध्यक्ष व उपस्थित समस्त पार्षदों ने आचार्यश्री को प्रतीक रूप में नगर की चाबी समर्पित की, तो सरदारशहर की अनेकानेक संस्थाओं द्वारा बनाए गए अभिनंदन पत्र का वाचन सम्पत जांगीड़ ने किया। लोगों ने विशाल अभिनंदन पत्र भी पूज्य चरणों में समर्पित किया।
इस अवसर पर आचार्यश्री ने उपस्थित जनता को पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि 84 लाख जीव योनियों में मानव जीवन को दुर्लभ बताया गया है। जीवन को अच्छा बनाने का प्रयास करना चाहिए। भारत के पास संत संपदा, ग्रंथ संपदा और पंथ संपदा है, जो भाग्य की बात है। सन्तों से जनता को सन्मति मिले, ग्रंथों से ज्ञान मिले और पंथों से पथदर्शन प्राप्त हो तो जन-जन का कल्याण हो सकता है। 
उन्होंने कहा कि सरदारशहर में जन्म लेने का अवसर प्राप्त हुआ। जन्मभूमि का व्यवहारिक महत्त्व हो सकता है, किन्तु संत तो त्यागी होता है वह तो समस्त प्राणी मात्र का होता है। लम्बे अर्से के बाद सरदारशहर में आना हुआ है। यह मायत भूमि का स्नेह, प्रेम और लगाव भी हो सकता है। नगर की चाबी देना भी बहुत ऊंचा सम्मान है। सरदारशहर की जनता में धार्मिक शांति और सौहार्द बना रहे।

Comments

Popular posts from this blog

राजपूत समाज की सबसे दबग महिला क्षत्राणी - Manjeet Kirtiraj Singh (मंजीत कीर्तिराज सिंह )

आज राजगढ़ सादुलपुर में भारतीय जनता पार्टी के द्वारा बिजली पानी व अन्य प्रमुख मांगों को लेकर उपखंड कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन किया

राजगढ़ सादुलपुर क्षेत्र के चिर प्रतीक्षित सोनी हॉस्पिटल ब्लड बैंक का उद्घाटन