महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण मंगल पदार्पण हुआ। सोलह वर्षों बाद तथा आचार्य बनने के पश्चात पहली बार राजगढ़ नगर में

राजगढ़ सादुलपुर में 16 अप्रेल को महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण मंगल पदार्पण हुआ। सोलह वर्षों बाद तथा आचार्य बनने के पश्चात पहली बार राजगढ़ नगर में जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता महाश्रमण के आगमन से जनमानस भक्ति भावों से विभोर नजर आया। उनके स्वागत में सर्व समाज के लोगों ने अभिवंदना की। 
स्थानीय विधायक राजस्थान क्रीड़ा परिषद की अध्यक्ष डॉ. कृष्णा पूनियां, राजस्थान खेल परिषद के मुख्य अधिकारी द्रोणाचार्य अवॉर्डी वीरेंद्र पूनियां, पूर्व विधायक मनोज न्यांगली, नगर पालिका चेयरमैन रजिया गहलोत सेवानिवृत्त एएसपी नियाज मोहम्मद, भाजपा नेता वेद प्रकाश पूनियां तथा क्षेत्र के अनेकानेक गणमान्य लोगों ने भी आचार्यश्री का भावभीना अभिनंदन किया। उनके स्वागत अभिनंदन में राजगढ़ की नगर से मां से जसकरण सुराणा हवेली तक 50 से ज्यादा स्वागत द्वार श्रद्धालुओं द्वारा बनाए गए पूरे शहर में जश्न त्यौहार जैसा माहौल नजर आया।
चैन रूप संपत राम नाहटा के नोहरे में हुई धर्मसभा को उदबोधन देते हुए आचार्यश्री ने कहा कि राजनीति में भी नैतिक मूल्यों की स्थापना की आवश्यकता है। इसके लिए समन्वित प्रयास होने चाहिए। आचार्य श्री का इस धर्म सभा में अध्यात्म अभिनंदन किया गया। 
नैतिक मूल्यों की प्रतिष्ठा के संबंध में उन्होंने कहा की हर व्यक्ति का कार्यस्थल भी धर्म स्थल बन जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मेरे द्वारा बताए जा रहे धर्मस्थल का मतलब है कि वहां पर अनैतिक व असामाजिक कृत्य ना हो तथा सदाचरण के अनुसार कार्य हो सके। आचार्य महाप्रज्ञ के जीवन संदर्भ का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि महाप्रज्ञ ने राजनीति को भी एक प्रकार से तपस्या माना, बशर्ते कि राजनीति में शुद्ध सेवा और जनहित की भावना हो। उन्होंने कहा कि धर्म स्थानों में अशुद्ध धनराशि का प्रवेश ना हो। 
शासन माता साध्वी प्रमुखा कनक प्रभा को भी याद करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसी मातृ शक्ति बहुत कम होती है। आचार्यश्री ने राजगढ़ आगमन के संदर्भ में कहा कि आचार्यश्री महाप्रज्ञजी के महाप्रयाण के बाद पहली बार राजगढ़ आना हुआ है। आज से थली की यात्रा का शुभारम्भ हो गया है। राजगढ़ की जनता में धर्म की भावना बनी रहे, सद्भावना, नैतिकता व नशामुक्ति का प्रभाव बना रहे। सभी नागरिकों के भीतर नैतिक व धर्म की चेतना का विकास होता रहे।
इससे पूर्व मुख्यनियोजिका साध्वी विश्रुतविभा ने भी राजगढ़वासियों को प्रेरणा प्रदान की। कार्यक्रम में पीयूष सुराणा, श्रीमती सुमन नाहटा, पुष्पराज सुराणा ने भी विचार व्यक्त किए। तेरापंथ महिला मण्डल, तेरापंथ कन्या मण्डल, नाहटा परिवार, कोचर परिवार, सुराणा परिवार के सदस्यों ने पृथक्-पृथक् गीत का संगान कर अपने आराध्य का अभिनंदन किया। 
कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार ने कहा किया। इस अवसर पर विधायक कृष्णा पूनियां ने कहा कि मैं राजनीति में नई-नई आई हूं और आचार्य महाश्रमण जैसे संत हमारे पथ प्रदर्शक बन रहे हैं। मैं अपनी ओर से हर संभव प्रयास करूं कि उनके द्वारा बताए अनुसार राजनीति में रहते हुए शुद्ध आचरण से सेवा कर सकूं। पूर्व विधायक मनोज न्यांगली ने आचार्य का स्वागत करते हुए कहा कि मेरा परिवार आचार्य महाप्रज्ञ और आचार्य महाश्रमण से जुड़ा हुआ है। हम इनके उपदेशों व संदेशों से प्रभावित हैं। कार्यक्रम में तेरापंथ महिला मंडल तथा कन्या मंडल द्वारा गीतिका प्रस्तुत की गई। आचार्य महाश्रमण प्रवास व्यवस्था समिति के संयोजक संजय सुराणा, सह संयोजक प्रमोद नाहटा ने भी आचार्य तथा धवल सेना का स्वागत किया। आयोजन सह प्रभारी श्याम जैन ने सभी आगंतुकों का स्वागत करते हुए कृतज्ञता ज्ञापित की साथ ही अतिथियों का स्वागत करवाया। आधा दर्जन अतिथियों को दुपट्टा अध्यात्म प्रतीक चिन्ह भेंट किए गए।
इस अवसर पर आसपास व हरियाणा के शहरों से आधा दर्जन संघ भी आचार्य की दर्शन सेवा के लिए आए। 
राजगढ़ नगर में प्रवेश से पहले पूर्व चेयरमैन मोहनलाल शर्मा परिवार की ओर से अजय नेहरू शर्मा, जोगेंद्र पूनियां आदि ने बैंड बाजे के साथ आचार्य का स्वागत किया। आचार्य ने वहां भी रुक कर उपस्थित लोगों को शुद्ध धार्मिकता बरतने का संदेश दिया।
आचार्यश्री महाश्रमण 17 अप्रेल को प्रातः 6-45 बजे राजगढ़ से प्रस्थान कर महाराणा प्रताप चौक के निकट स्थित सेठिया अतिथि भवन पधारेंगे। 17 अप्रेल को भी धर्म जुलूस का आयोजन होगा। 18 अप्रेल को प्रातः आचार्य महाश्रमण ऐतिहासिक गांव ददरेवा के लिए विहार करेंगे।

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