जीवन सिंह शेरपुर युवाओं का रोबिन हुड .....
श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के प्रदेशाध्यक्ष मध्यप्रदेश जीवन जी = 15 जनवरी 1991 जावरा तहसील रतलाम जिले के छोटे से गांव शेरपुर में एक ऐसे लाल का जन्म हुआ जो इस मध्य प्रदेश में हजारों युवाओं की एक उम्मीद और एक सूरज की किरण लेकर सबके उज्जवल भविष्य की लड़ाई लड़ना शायद उसी दिन से चालू कर दी थी ...
"गोगामेड़ी का शेर"
श्री जीवन सिंह जी शेरपुर का उद्देश्य समाज के अंतिम वर्ग जो आर्थिक तौर पर पिछड़ा हुआ है उसको किसी भी तरह अपने आप में विस्थापित करने का उद्देश्य श्री जीवन सिंह शेरपुर का रहा है यह आप सभी को ज्ञात है कि एक राजपूत वर्ग के व्यक्ति को विस्थापित होने में चाहे वह किसी भी क्षेत्र में बहुत समय लगता है कई तरह की पीड़ा उसको भुगतनी पढ़ती हैं कई तरह के दर्द उसको भुगतने पड़ते हैं तब जाकर एक समाज का व्यक्ति कहीं जाकर विस्थापित होता है यह पीड़ा श्री जीवन सिंह जी शेरपुर में समझी और उस वर्ग की लड़ाई लड़ने प्रारंभ कर दी और यह लड़ाई प्रारंभ हुई आर्थिक आधार पर आरक्षण से आरक्षण का उद्देश्य केवल आर्थिक ही माना जाए यह नहीं कहा गया कि आरक्षण सभी को चाहिए केवल उन वर्ग समाज के लोगों को चाहिए जो आर्थिक रूप से कहीं ना कहीं उसके हकदार हैं और उन्होंने उनकी लड़ाई करने का कार्य किया ...
सबसे पहले श्री जीवन सिंह जी शेरपुर में रतलाम में आर्थिक आधार पर आरक्षण लागू हो आर्थिक आधार पर आरक्षण की मांग को लेकर एक रैली की इस रतलाम के इतिहास में शायद ही कभी इतनी संख्या की रैली कभी निकली होगी और वह भी पूरे अनुशासन के साथ निकली होगी कभी नहीं हुआ यह भी अपने आप में गौरव का विषय है कई तरह की लड़ाई समाज के हर वर्ग के के लिए श्री जीवन सिंह जी सर पुणे लड़ी और अपना पूरा जीवन शायद समाज के लिए आपने त्याग और समर्पित कर दिया प्रशासन हो शासन हो श्री जीवन सिंह शेरपुर को परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी समाज की सेवा करने के लिए कभी फर्जी मुकदमे उनके ऊपर लादे गए कभी जिला बदर उनको किया गया कभी निर्दोष होने के बावजूद भी समाज के लिए जेल में रहना पड़ा पड़ा है, ताकी के हर व्यक्ति को अपना हक मिल सके और यह श्री जीवन सिंह जी शेरपुर की मेहनत का ही परिणाम था कि 10% आरक्षण आर्थिक आधार पर लागू हुआ ...श्री जीवन सिंह जी के संघर्ष रतलाम के बाद उज्जैन इंदौर एवं अन्य कई जगह पर हजारों लाखों की तादात में अनुशासन रखते हुए कई रैलियां समाज के अंतिम वर्ग के लिए लड़ी है.. तब जाकर के जीवन सिंह शेरपुर से मध्य प्रदेश के एक ही किंग जीवन सिंह शेरपुर बने.. .
व्यक्तित्व कि अगर मैं बात करूं आपकी तो आप एक बहुत ही साधारण व्यक्तित्व खुशनुमा व्यक्तित्व के धनी हैं कभी भी कहीं भी कौन सा भी आयोजन हो आप मंच साझा नहीं करते हैं और नहीं उस मंच के माध्यम से किसी को संबोधित करते हैं बहुत ही साधारण आचरण आपका है आपकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है मैं स्वंय इस बात का साक्षी भी हूं कि महिदपुर सिटी में एक कार्यक्रम सामाजिक चल रहा था और उस समय तत्कालीन सरकार के मध्य प्रदेश के नगरी प्रशासन एवं आवास मंत्री श्री जयवर्धन सिंह जी ने बकायदा मंच से संबोधन कर कहा था कि ना भाषण देते हैं ना मंच पर बैठते हैं फिर भी यह होती है लोकप्रियता जीवन सिंह जी शेरपुर..
आपके शेरपुर स्थित निवास पर हमेशा सभी के लिए दरवाजे खुले रहते हैं कोई भी आपके दर पर आया हुआ खाली नहीं जाता है यथासंभव आप मदद करते हैं और आधी रात में भी किसी भी व्यक्ति के लिए सर्वहारा वर्ग के लिए यथासंभव मदद के लिए सदैव तत्पर रहते हैं श्री जीवन सिंह जी शेरपुर...
समाज के लिए जो त्याग आपने किया है जो पीड़ा आपने भोगी है आने वाली पीढ़ियां आप को सलाम जरूर करेगी...
समाज के लिए जो त्याग आपने किया है उसके लिए तो मेरे पास शब्द नहीं है,
क्यो हीरे की परख जोहरी समय आने पर करता है... और आपकी परख भी हो गई आपके कार्यों की परख भी हो गई हैं समाज ने भी आपके कार्यों की परख कर ली है इसलिए अब आपको किसी भी व्यक्ति को प्रमाण पत्र देने की जरूरत नहीं है इसलिए आपके लिए अब कोई शब्द नहीं है क्योंकि आपका परिचय ना तो शब्दों का मोहताज है इसलिए अब मैं निशब्द हूं मैं सवाई समाज के लिए आपके त्याग बलिदान और समर्पण के लिए आपका ऋणी हूं.....
दौलत से फकत जेब हो सकती है भारी जो खून हल्का है वह हल्का ही रहेगा..
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